Bank Loan: लोन देते समय बैंक वाले कभी नहीं बताते ये बात, फिर ग्राहकों को होता है बड़ा नुकसान

Bank Loan: कोई भी व्यक्ति आर्थिक कमी के कारण ही लोन का आवेदन करता है और बैंक के जरिए वहां मौजूद मध्यस्थ इस बात का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। हम अक्सर देखते हैं कि हमें बैंक की तरफ से फोन आता है यह पूछने के लिए की क्या आप पर्सनल लोन लेना चाहते हैं और हमें बताया जाता है कि बैंक अपने ग्राहकों को 9% के बेहद कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर रहा है। वास्तव में इस तरह के मेसेज या कॉल केवल लोगों को फंसाने का एक तरीका है। बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के एजेंट इन तरीकों से भोले भाले ग्राहकों को अपने झूठे दावों में फसाते हैं।

आज के आलेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में जिससे आप बैंक व उससे संबंधित दलालों की इन चालों से बच सकते हैं। यदि आप भी किसी तरह का ऋण लेने की योजना बना रहे हैं तो हमारे आलेख पर अंत तक बने रहें ताकि ऋण संबंधी सम्पूर्ण प्रक्रिया को बिना किसी आर्थिक नुकसान के संपादित कर सकें।

   

इंटरेस्ट रेट को लेकर अंधेरे में रखना

रिड्यूसिंग रेट का इंटरेस्ट में जैसे-जैसे लोन की अवधि गुजरती है, EMI भी कम हो जाती है। लेकिन फ्लैट रेट में ऐसा नहीं होता। लोन की पूरी अवधि के दौरान एक प्रकार की ईएमआई का भुगतान किया जाता है। प्रथम व्यवस्था ग्राहकों के लिए फायदेमंद होती है लेकिन बैंक का कोई भी रिलेशनशिप मैनेजर इस बात का जिक्र नहीं करता। यदि लोन 5 वर्ष के लिए है तो 8 फीसदी से फ्लैट रेट 15.7 फ़ीसदी रिड्यूसिंग रेट के बराबर पड़ता है। लेकिन इस बात की जानकारी बहुत कम ही ग्राहकों को होती है।

अन्य तरीकों से भी ग्राहकों को फंसाने का होता है प्रयास

जो ग्राहक ब्याज दरों की प्रक्रिया को भली-भांति समझते हैं, बैंक उनके लिए उन्हें फंसाने के दूसरे तरीके भी तैयार रखता है। लोन प्रोसेसिंग फीस उन तरीकों में से एक सबसे बड़ा हथियार होता है। यह आमतौर पर लोन की धनराशि का 1 से 2 प्रतिशत ही होता है जिसमें 2000 से ₹3000 की सीमा होती है। लेकिन यही चार्ज लोन की प्रभावी दरों को बढ़ा देते हैं।

एडवांस ईएमआई के द्वारा भी ब्याज दर को बढ़ाया जा सकता है। यह एक आसान तरीका है जिससे ग्राहक को मिलने वाले कर्ज को कम कर दिया जाता है। 14 फ़ीसदी की दर से 2 साल के लिए ₹500000 के लोन में EMI 24000 रुपए तक निकलती है और यदि इसमें दो EMI को पहली ही बार में चुकता कर दिया जाए तो कुल लोन 4.52 लाख रुपए ही रह जाता है लेकिन ग्राहकों से ₹500000 का चार्ज लिया जाता है।

क्यों ध्यान नहीं देते ग्राहक

जब भी कोई ग्राहक लोन के लिए अप्लाई करता है तो उस समय वह लोन की मूल राशि को लेकर ही चिंतित रहता है जिसके कारण उसे EMI भुगतान करना मुश्किल नहीं लगता। लेकिन वास्तविकता यह है कि एक बार में दो ईएमआई के पेमेंट से लोन की प्रभावी ब्याज दर 14 फीसदी से बढ़कर 16.6 फ़ीसदी तक हो जाती है। यदि कभी कोई ग्राहक इस विषय में सवाल करता है तो अक्सर उसका ध्यान बैंक द्वारा भटका दिया जाता है।

इंश्योरेंस को लेकर झूठ

जब भी कोई ग्राहक लोन लेता है तो एजेंट इसमें अपना कमीशन जरूर कमाते हैं। यह कमीशन इंश्योरेंस बेचकर और भी बढ़ जाता है। ऐसी अवस्था में होम लोन के साथ सिंगल प्रीमियम टर्म प्लान बढ़ा दिया जाता है। यह टर्म प्लान लोन लेने वाले को कवर करता है तथा उसको कुछ हो जाने की स्थिति में उसके लोन का भुगतान करता है। इसके प्रीमियम को लोन की राशि में जोड़ दिया जाता है ताकि ग्राहक को इसे अलग से अपनी जेब से नहीं देना पड़े। लेकिन हम आपको बता दें कि होम लोन के साथ इंश्योरेंस की बिक्री पूरी तरह से गैरकानूनी है। इस तरह का इंश्योरेंस कहीं से भी खरीदा जा सकता है। बैंक किसी भी ग्राहक को जोर नहीं दे सकता कि वह इंश्योरेंस उसी से खरीदें। लेकिन ग्राहकों को इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी जाती।

किए जाते हैं अनेक मौखिक वादे

यदि बैंक एजेंट ग्राहक को महंगी खरीद के लिए राजी कर लेते हैं तो उनका कमीशन बढ़ जाता है। अमूमन ऐसा कार लोन आदि में किया जाता है। उन्हें कार के साथ रोड साइड एक्सीडेंट कवर देने की बात भी की जाती है और ऐसे ही कई एड-ऑन फीचर्स के मौखिक वादे उनसे किए जाते हैं किंतु ऑन पेपर ऐसी कोई भी डील नहीं की जाती।

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