Chanakya Niti: जल्दी करोड़पति बनने के लिए गधे को बनाओ “बाप”, चाणक्य से जानिए अमीर बनने के आसान उपाय

हिंदी की एक बहुत पुरानी कहावत है “गधे को बाप बनाना”। इसका अर्थ होता है कि आदमी को बुरा समय आने पर या अपने किसी फायदे के लिए गधे को भी बाप बनाना पड़ता है। अब यह बात सच होने जा रही है। दरअसल राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र के महाज्ञानी कहे जाने वाले चाणक्य (Chanakya Niti) ने गधे से सीखने योग्य कई चीजें बताई। आचार्य विष्णुगुप्त ने अपनी एक नीति के अनुसार इंसान के फायदे के लिए इस जानवर में मौजूद कई गुणों का अनुसरण करने का उपदेश दिया। उन जादुई मंत्रों को हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं।

धनवान बनना है तो गधे से लें ये जरूरी सीख

दुनिया में जो भी मनुष्य आता है, वो कभी न कभी रातों-रात अमीर बनने के सपने जरूर देखता है। उनमें से कुछ ही लोग ऐसे होते हैं, जो वास्तव में काफी धनवान हो जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ न जाने कितने लोग अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा कर पाने जितना ही धन कमा पाते हैं। वह बचपन से लेकर बुढ़ापे तक बस मेहनत करते रह जाते हैं। ऐसे लोगों का संपूर्ण जीवन संघर्षमय रह जाता है। आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) ने उन्हीं व्यक्तियों के सफल होने के लिए उपदेश देते हुए गधे से सीखने योग्य कुछ गुण बताए।

   

इनका पालन करके आप सफलता का मुंह देख पाएंगे। सबसे पहला गुण जो उन्होंने बताया वह था “आलस्य से बैर”। बचपन से हम किताबों व कहानियों में पढ़ते व सुनते आए हैं कि आलस इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है। इसके बावजूद हम अपने शरीर से श्रम लेने के बजाय उसे आराम का आदि बना देते हैं। जीवन में सफल होने या धनवान बनने के लिए आपको आलस छोड़ मेहनत करनी पड़ेगी। चाणक्य (Chanakya Niti) बताते हैं कि गधा थक जाने पर भी बोझ उठाता है। उसी तरह इंसानों को भी निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।

इन बुरी आदतों को तुरंत छोड़ना होगा

इंसान अगर गधे से भी सीख ले, तो वह अपनी जीवन में नित तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते जाएगा। इसका बहुता बड़ा  उदाहरण चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) ने अपनी नितियों में किया है। उन्होंने इस जानवर से सबको सीख लेने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने बताया कि मनुष्य को अपनी कुछ बुरी आदतों का परित्याग कर देना चाहिए। उनमें से एक मौसम पर अपनी निर्भरता। अर्थात् चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को मौसम की परवाह न करते हुए अपने कार्य करते रहने चाहिए। गौरतलब है कि अक्सर हम धूप, बारिश, सर्दी, गर्मी का सहारा लेकर अपने शरीर को शारीरिक श्रम से बचाते हैं।  

इसके अलावा हम जीवन में कितना भी धन, यश पा लें, हमें संतोष नहीं मिलता। हम निरंतर उसमें बढ़ोतरी की संभावनाएं ढूंढते रहते हैं। मनुष्य की यह लालसा कभी खत्म नहीं होती। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान वह सुकून के पल बिताना भूल जाता है। चाणक्य (Chanakya Niti) ने गधे का उदाहरण देते हुए उसके तीसरे गुण से सबको परिचित करवाया। उन्होंने उल्लेख किया कि गधा स्वभाव से संतोषी होता है। अर्थात् जो मिल जाए उसे ईश्वर का वरदान समझकर स्वीकार कर लेता है। इंसान को भी अपने जीवन में संतुष्ट होना सीखना चाहिए।

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