High Court Decision: सास-ससुर और मां-बाप का ध्यान नहीं रखने वालों को लगा बड़ा झटका, अब हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला

High Court Decision: भारतीय सामाजिक व्यवस्था में परिवार की अहम भूमिका व महत्व है। क्योंकि भारतीय परिवार संस्कार प्रधान होते हैं। माता पिता के साथ ही बच्चों को भी अपने दायित्व निर्वहन की नैतिक शिक्षा दी जाती है। पर कभी कभी किन्हीं परिस्थितियों में परिवार में विवाद और विघटन की नौबत आ जाती है और ऐसी दशा में प्रायः देखा जाता है कि बुजुर्ग मां बाप इसके दुष्परिणाम का शिकार होते हैं।

आज के आलेख में हम आपको उच्चतम न्यायालय के सामाजिक न्याय से संबंधित बुजुर्ग माता-पिता के पक्ष में दिए गए एक चर्चित व महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी से अवगत कराएंगे। हमारे आलेख को पूरा पढ़कर आप इस जानकारी को अपने आस-पास के लोगों में शेयर करके सामाजिक व्यवस्था में अपनी भूमिका निभाने का योगदान दे सकते हैं।

   

राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा लिया गया बड़ा फैसला

राजस्थान की उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले का पर निर्णय देते कहा कि यदि मां-बाप या फिर सास ससुर अपने बच्चों से परेशान हैं या उनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं तो वह उन्हें अपनी संपत्ति से साधिकार बेदखल कर सकते हैं। मां बाप या फिर सास ससुर, यदि उनके बच्चे उनकी देखभाल सही तरीके से नहीं कर रहे हैं तो वह उन्हें अपनी संपत्ति से बाहर करने के समस्त अधिकार रखते हैं।

दो सदस्यीय बेंच का फैसला

राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन ने कोर्ट की सिंगल बेंच की ओर से 2019 में 12 सितंबर को ओमप्रकाश सेन वर्सेस मनभर देवी के केस को लेकर फैसला सुनाया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट समेत देश के कई उच्च न्यायालय की ओर से मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के पास संपत्ति से जुड़ी बेदखली की शक्ति को मान्यता दी गई है। खबरों के मुताबिक मामले से जुड़ी अगली सुनवाई 27 अगस्त को होनी है

कोर्ट के फैसले से बुजुर्गो को मिली बड़ी राहत

कोर्ट के द्वारा सुनाए गए इस बड़े फैसले के बाद बुजुर्गों को आशातीत राहत मिली है। वे सभी बुजुर्ग जिन्हें बच्चों की तरफ से भरपूर देखभाल नहीं मिल पा रही थी या उन्हें अपने परिवार की ओर से काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता था, इस आदेश के बाद अपने आपको सुरक्षित महसूस कर पा रहे हैं।

हाई कोर्ट द्वारा बताया गया कि समुचित रेफरेंस तय ना होने के कारण ऐसे कई मामले हैं जिन पर अब तक सुनवाई नहीं हो सकी है। यद्यपि कोर्ट ने यह स्वीकार कि रेफरेंस तय होने के बाद इस तरह के केसों का जल्द से जल्द निपटारा किया जा सकेगा।

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