Property Rights: हम अक्सर खबरों में रिश्तेदारों वह घर वालों के बीच लड़ाई झगड़े की वजह प्रॉपर्टी को सुनते हैं। प्रायः ऐसा भी सुना जाता है कि बाप ने बेटी को या अपनी संतान को प्रॉपर्टी से जरूरीबेदखल कर दिया। कभी कभी ऐसा भी होता है कि पति-पत्नी के बीच भी सम्पत्ति अधिकार को लेकर विवाद पैदा हो जाता है।
आजकल चल रहे प्रॉपर्टी से जुड़े विवादों से निपटने के लिए ही जरूरी है कि आप प्रॉपर्टी के बारे में सारे नियम व कानून जान लें। आज के आलेख में हम आपको सम्पत्ति संबंधी कुछ ऐसे ही कानूनों की जानकारी से अवगत कराएंगे ताकि आप भी भविष्य में होने वाले खतरों से सावधान रह सकें।
क्या कोई भी पति या पत्नी परस्पर एक-दूसरे को घर से बेदखल कर सकते हैं?
मुंबई की मजिस्ट्रेट कोर्ट में घरेलू विवाद का एक मामला सामने आया जिसमें पत्नी ने पति को घर से निकालने की मांग की थी जिस घर को उन दोनों ने मिलकर खरीदा था। इस मामले पर कोर्ट ने कहा कि पति का घर पर कानूनी अधिकार है और उसे निकाला नहीं जा सकता। साथ में कोर्ट ने कहा कि यह पति का नैतिक फर्ज है कि वह अपनी पत्नी और बेटियों के साथ घर में रहकर उसकी देखभाल करे। अब महिला और उसकी बेटियां अलग रहती हैं। कोर्ट ने उस शख्स को आदेश दिया है कि वह पत्नी को मेंटेनेंस के तौर पर 17000 रुपए हर माह दे।
इस विषय में क्या कहता है कानून
भारतीय कानून के अनुसार पति की प्रॉपर्टी पर पत्नी का अधिकार होता है। विवाह के बाद अगर पति-पत्नी अलग होते हैं तो हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत पत्नी अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है। वही घरेलू हिंसा अधिनियम के अनुसार स्वामित्व किसी के पास भी हो पत्नी जीवन भर अपने पति से भत्ता मांगनें की अधिकारी हैं।
पत्नी को ससुराल के घर में रहने का है अधिकार
हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट 1956 के अनुसार पत्नी को अपने ससुराल के घर में रहने का अधिकार होता है और घर में रहने का अधिकार तब तक रहता है जब तक कि उसके पति के साथ उसके वैवाहिक संबंध बरकरार रहते हैं और यदि वह दोनों अलग होते हैं तो पत्नी अपने पति से मेंटेनेंस की मांग भी कर सकती है। साथ ही यदि किसी व्यक्ति की स्व अर्जित संपत्ति है तो वह चाहे उसे गिरवी रखे, वसीयत लिखे या किसी को दान करे , इससे जुड़े सभी अधिकार उस व्यक्ति के पास ही सुरक्षित होते हैं।